Sunday, September 4, 2011

नयन

लचीले सकुचीले सरसिले सुरमीले से कटीले औ
कुटीले चटकीले और मटकीले हैं.
रूप के लुभिले, कजरिले उन्सिले, बर्छिले, तिर्छिले
से कसिले और गरसिले हैं.
ललित किशोरी, झमकीले, गर्वीले, मानो अति ही
रसीले, चमकीले और रंगीले हैं.
छबीले, छकीले, अस्नील से नशीले आली नैना नंदलाल
के नाचिले और नुकीले हैं.

9 comments:

  1. औपन्‍यासिक ब्‍लॉगिया कविताओं के भीड़ में इस ब्‍लॉग को पाकर अच्‍छा लगा, पथिक जी की रचनाओं का इंतजार रहेगा.
    इस ब्‍लॉग को फालो कर रहे हैं अब फीड रीडर से नये पोस्‍टों को पढ़ते रृहेंगें.

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  2. अपने बाबा कि रचनाएँ पढवाने का शुक्रिया ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति है


    कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटाएँ

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  3. सुन्दर व अनुपम रचना

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  4. बाबा कि रचनाएँ पढवाने का शुक्रिया

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  5. नयनों की इतनी सारी उपमाएं ....बहुत ही अदभुद.
    बहुत अच्छा लगा पढ़ कर...खार तौर पर इसलिए कि वो आपके बाबा की लिखी हुई हैं...आपको विरासत में बहुत अनमोल चीज़ मिली है शेफाली.

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  6. प्रोत्साहन के लिए आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया

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