Wednesday, September 14, 2011

आते एक बार

जाता बन नन्द निकुंज विश्व मेरे लिए
उमा निवास को भी कुटिया लजाती तो
आशा की मुकलित कलि सवेग खिल जाती,
सुरमित वायु सुख सदन बहती तो
होता निहाल एक बार जो निहार पता,
मुक्ति की भी लालसा लाभी ना रह जाती तो
आते एक बार देव भाग्य फिर जाते मेरे,
जीवन की साधना समस्त मिट जाती तो

Sunday, September 4, 2011

नयन

लचीले सकुचीले सरसिले सुरमीले से कटीले औ
कुटीले चटकीले और मटकीले हैं.
रूप के लुभिले, कजरिले उन्सिले, बर्छिले, तिर्छिले
से कसिले और गरसिले हैं.
ललित किशोरी, झमकीले, गर्वीले, मानो अति ही
रसीले, चमकीले और रंगीले हैं.
छबीले, छकीले, अस्नील से नशीले आली नैना नंदलाल
के नाचिले और नुकीले हैं.